पड़ोस वाली दीदी की चुदाई स्टोरी|PAROSH WALI DIDI KI CHUDAI|

 मेरा नाम विक्की मित्तल है और मैंने आइआइटी रुड़की से इंजीनियरिंग करने के बाद आईआईएम, अहमदाबाद से एमबीए किया है. अभी दिल्ली में अपने परिवार की ही एक एक्सपोर्ट इम्पोर्ट कम्पनी में बहुत अच्छी पोस्ट पर काम करता हूँ और 8 लाख सालाना वेतन ले रहा हूँ. मेरी उम्र 29 वर्ष है और मैं देखने में काफी आकर्षक और सुन्दर हूँ.

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मेरी बॉडी थोड़ी सी स्थूल है परन्तु मेरी हाईट 5 फिट 10 इंच होने के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूँ. मैंने अभी तक शादी नहीं की है, इसलिए मैं पूरे ठाट के साथ साउथ एक्स. में रहता हूँ. वैसे भी मैं यूपी की एक बहुत ही बड़ी जमींदार फैमिली से ताल्लुक रखता हूँ और मैंने साउथ एक्स. में ही अपना 4 बेडरूम का फ्लैट खरीद लिया है. इधर मैं पूरी मौज मस्ती में रहता हूँ.

मैं भी इस साईट का एक नियमित पाठक हूँ और अन्तर्वासना पर प्रकाशित सभी कहानियां बड़े ध्यान से पढ़ता हूँ. मुझे यहां प्रकाशित लगभग सभी कहानियां बहुत ही मजेदार लगती हैं. हालांकि मैंने कुछ कहानियों में कुछ अतिशियोक्ति भी देखी है लेकिन इन कहानियों में रोचकता भरपूर है.Aunty Ki Chut Kutte Jaise Chat Chat Kar Gili Kar Di

चूँकि मैं भी बड़ा ही रसिक मिजाज का हूँ, किशोरावस्था से ही चुदाई का मजा ले रहा हूँ. अब तक मैं 50 से ज्यादा लड़कियां चोद चुका हूँ. उन सभी कहानी मैं आप सबको जरूर सुनाऊंगा. आज मैं आपको अपनी पहली वाली चुदाई की कहानी सुना रहा हूँ.

बात उन दिनों की है, जब मैं बारहवीं क्लास में पढ़ता था. हमारे पड़ोस में एक पंजाबी फैमिली रहती थी, जिसमें सिर्फ तीन ही सदस्य थे. एक 70 साल के दादा जी, एक लड़का और एक लड़की.

लड़के की उम्र लगभग 24-25 साल की रही होगी और लड़की की उम्र 20-21 साल की रही होगी. बुजुर्ग सज्जन इन दोनों के पिता थे और अक्सर बीमार से ही रहते थे, जबकि उन दोनों की माँ की मृत्यु हो चुकी थी.
वैसे तो उस परिवार में 5-6 लड़कियां और भी थीं, लेकिन वो सब काफी उम्र की थीं और सबकी शादी हो चुकी थी. वे सब अपने पति के साथ अपनी ससुराल में ही रहती थीं. वे कभी कभी अपने पिताजी को देखने परिवार के साथ 2-3 दिन के लिए आती रहती थीं. हमारा भी उस पंजाबी फैमिली में काफी आना जाना था.

लड़के का नाम राजेश और लड़की का नाम दीपाली था. दीपाली बहुत ही खूबसूरत थी. मैं राजेश को भाई साहब और दीपाली को दीदी कहता था. दीपाली का बदन मानो भगवान ने सांचे में ढाल कर बनाया हो. गोरा चिट्टा रंग हल्का गुलाबीपन लिए.. जैसे की दूध में चुटकी भर केसर डाल दिया हो. उसके शरीर का 36-24-38 का अति कामुक साइज़.. चूचियां एकदम सख्त और उभरी हुईं.. पीछे उसके चूतड़ भरे हुए थे, ऐसा लगता था कि उसके चूतड़ों की जगह दो गोल बड़ी बड़ी बॉल्स हों. वो अधिकतर सलवार कुरता पहनती थी और जब चलती थी, तो ऐसा मालूम होता था कि दो गेंदें आपस में रगड़ खा रही हों. जब वो हंसती थी.. तो गालों में बड़े प्यारे डिंपल पड़ जाते थे, जिससे वो और भी खूबसूरत लगने लगती थी.

वो बोलती बहुत थी और एक मिनट भी चुप नहीं बैठ सकती थी. उसमें एक खास बात थी कि वो किसी की भी चीज में कोई नुक्स नहीं निकालती थी, चाहे उसको पसंद हो या ना हो, वो हमेशा यही कहती थी कि बहुत ही प्यारी है.कार में आंटी ने लंड चूसा|CAR ME AUNTI KI CHUDAI|

यदि उसको कुछ खाने के लिए दो और वो उसको पसंद नहीं आया हो, तब भी वो उस चीज की तारीफ़ ही करती कि बहुत ही स्वादिष्ट बनी है.

इसी बात से हम सब हमेशा ही दीपाली की तारीफ़ किया करते थे. हमारी कॉलोनी के सभी लौंडे उसके दीवाने थे और बस एक बार किसी तरह उसको चोदना चाहते थे.

मैं भी अकसर सोचता था कि काश मैं दीपाली को चोद सकूँ और एक दिन ऐसा मौका आ ही गया.

सितम्बर का महीना चल रहा था. उस दिन संडे की छुट्टी थी और समय रहा होगा लगभग 11 बजे सुबह का. मैं किसी काम से अपनी छत पर गया था. हमारी दोनों की छत आपस में मिली हुई हैं और छत से उनके घर के कमरे और बाथरूम बिल्कुल साफ़ दिखाई देते हैं.

जब उस रोज मैं छत पर गया तो दीपाली के गाना गाने की आवाज आ रही थी. सो मैं वैसे ही उनके घर की तरफ़ देखने लगा. मेरी निगाह उधर गई ही थी कि मैं चौंक गया.. क्योंकि दीपाली बिल्कुल नंगी बाथरूम में पटरे पर बैठी थी और उसने इस वक्त अपनी टांगें चौड़ी कर रखी थीं.

सच में दोस्तो.. मैं तो बस उसे देखता ही रह गया. दीपाली कि चूचियां एकदम गोरी और तनी हुई थीं और जैसा कि मैं ख्यालों में सोचता था, वो उससे भी अधिक सुन्दर थी. उसकी गोरी चूचियों के बीच में हल्के गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे अंगूर थे और उनमें बिल्कुल गुलाबी रंग के निप्पल थे, जो कि बाहर को निकले हुए थे. उसका सारा शरीर बहुत ही चिकना और गोरा था और टांगों के बीच में तो पूछो ही मत.. वहां उसकी चूत पर काले रेशमी बाल नज़र आ रहे थे. उन रेशमी झांटों के बीच हल्की गुलाबी से रंग की दरार नज़र आ रही थी. दरार में ऊपर की तरफ़ एक छोटा सा चने जैसा दाना चमक रहा था. वो उस वक्त कपड़े धो रही थी और उसका सारा ध्यान उस तरफ़ ही था. दीपाली को इस हालत में देख कर मेरा लंड एकदम से तन कर खड़ा हो गया मानो वो इस हसीन चूत को सलामी दे रहा हो. मेरा मन कर रहा था कि मैं फ़ौरन ही वहां पहुच जाऊं और दीपाली को कस कर चोद दूँ, पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था.ब्यूटी पार्लर वाली सेक्सी आंटी ने लंड चूसा मेरा Hindi Sex Story

मैं काफी देर तक वहां खड़ा रहा, दीपाली को ऐसे ही देखता रहा और ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर सहलाता रहा. मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी. मेरा गला एकदम से खुश्क हो गया था कि मैं थूक भी ठीक से नहीं निगल पा रहा था. मेरी टांगें कांप रही थीं और ऐसा लग रहा था कि मेरी टांगों में बिल्कुल भी दम नहीं रहा.. मैं किसी भी वक्त गिर जाऊंन.

मैं इस हालत में उसको करीब करीब 15-20 मिनट तक देखता रहा. वो बार बार सर झुका कर टांगों में अपनी चूत की तरफ़ देख रही थी और एक कपड़े से चूत के बालों को रगड़ रही थी, जिससे उसकी चूत के कुछ बाल उतरते जाते थे. मैं समझ गया कि आज दीपाली अपनी चूत के बाल हेयर रेमूवर से साफ़ कर रही है. मैं उसे बड़े ही गौर से देख रहा था कि अचानक उसकी नज़र मेरे पर पड़ गई और उसने एकदम से बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया.How I Fucked My Class Teacher 2

ये देख कर मैं बहुत डर गया और छत से नीचे उतर आया. मैं सारे दिन इसी उधेड़बुन में लगा रहा कि अगर जीजी इस बारे में पूछेंगी तो मैं क्या जवाब दूँगा.. लेकिन मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था. मैंने सोचा कि मैं 2-3 दिन उसको दिखाई ही नहीं पडूंगा और उसके बाद मामला कुछ ठंडा हो जायेगा, तभी देखा जायेगा कि क्या जवाब देना है.

मैं एक दिन तो दीपाली से बचा ही रहा और उसकी नज़रों के सामने ही नहीं आया. अगले दिन पापा और मम्मी को किसी के यहां सुबह से शाम तक के लिए जाना था. उस दिन ड्राईवर नहीं आया था तो पापा ने मुझको कहा कि मैं उनको कार से छोड़ दूँ और शाम को वापस ले आऊं. सो मैं उनको कार से छोड़ने जा रहा था कि मैंने दीपाली को अपनी कार की तरफ़ तेजी के साथ आते हुए देखा, तो डर के मारे मेरा हलक खुश्क हो गया. मम्मी पापा कार में बैठ ही चुके थे, सो मैंने झट से कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी.

हालांकि मम्मी ने कहा भी कि दीपाली हमारी तरफ़ ही आ रही है, कहीं उसे कोई ज़रूरी काम ना हो, पर मैंने सुना अनसुना कर दिया और कार को तेजी के साथ ले गया.

मैंने मन ही मन सोचा कि जान बची तो लाखों पाए.. और लौट कर बुद्धू घर को आए.

जब मैं पापा मम्मी को छोड़ कर वापस घर आया तो देखा कि वो हमारे गेट पर ही खड़ी है.

जैसे ही मैंने कार रोकी वो भाग कर कार के पास आ गई और मुझसे बोली कि कार को भगा कर ले जाने की कोशिश ना करना, वरना बहुत ही बुरा होगा.

मैं बहुत बुरी तरह से डर गया और हकलाते हुए कहा कि जीजी मैं कहां भगा जा रहा हूँ और मेरी इतनी हिम्मत ही कहां है कि जो मैं आप से भाग सकूं?

इस पर दीपाली ने कहा- अभी जब तूने मुझे देखा था तब तो जल्दी से भाग गया था और अब बात बना रहा है.भाभी की अदा पर हम फिदा
मैंने कहा कि जीजी मुझको कार को एक तरफ़ तो लगाने दो और फिर अन्दर बैठ कर बात करते हैं.
वो बोली- ठीक है.

मैंने कार को एक तरफ़ लगा दिया और दीपाली के साथ अन्दर अपने घर में चला आया.

मैंने अपने कमरे में जाते ही एसी ऑन कर दिया क्योंकि घबराहट के मारे मुझे पसीना आ रहा था.

फिर मैं अपने होंठों पर जबरन हल्की सी मुस्कान लाकर बोला कि आओ जीजी बैठ जाओ और बोलो कि क्या कहना है.
ऐसा कहते कहते मैं रुआंसा सा हो गया तो वो बोली- डर मत.. मैं तुझको मारूंगी या डांटूगी नहीं, वो मैं तो ये कहने आई हूँ कि तू उस दिन छत से क्या देख रहा था.
मैं अनजान सा बनने लगा और कहा कि जीजी आप कब की बात कर रही हैं, मुझे तो कुछ ध्यान नहीं है.
तो उन्होंने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा कि साले बनता है और अभी संडे को सुबह छत से मुझे नंगी नहीं देख रहा था?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो बोली कि क्या इस तरह से किसी जवान लड़की को नंगी देखना अच्छा लगता है? तुझे शरम नहीं आती?
मैंने कहा कि जीजी आप हैं ही इतनी खूबसूरत कि उस रोज आपको नंगी देखा तो मैं आँखें ही नहीं फेर सका और मैं आपको देखता ही रहा. वैसे मैं बड़ा ही शरीफ़ लड़का हूँ और अब तक मैंने सिर्फ आपको ही पहली बार नंगी देखा है.
मेरी इस मासूमियत पर वो हंस कर बोली कि हां हां वो तो देखाई ही दे रहा है कि तू कितना शरीफ़ लड़का है, जो जवान लड़कियों को नंगी देखता फिरता है.
मैंने भी झट से कहा कि जीजी उस रोज आप टांगों के बीच के बालों को बार बार क्यों रगड़ रही थीं?
तो इस पर वो शरमा गईं और बोली- धत्त कहीं जवान लड़कियों से ऐसी बात पूछी जाती है?
तो मैंने पूछा कि फिर किस से पूछी जाती है?
इस पर उसने इतना ही कहा कि मुझे नहीं मालूम.

अब मैं समझ गया था कि वो उस रोज देखने से ज्यादा नाराज नहीं थी.

उस समय तक मेरा डर काफी हद तक कम हो गया था और मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया था.

मुझे फिर मस्ती सूझी और मैंने फिर से दीपाली से पूछा कि जीजी बताओ ना कि तुम उस रोज क्या कर रही थीं?
यह सुन कर वो पहले तो मुस्कुराती रही और फिर एकदम से बोली कि क्या तू मुझे फिर से नंगी देखना चाहेगा?


दीदी की इस बात से मेरा दिल बहुत जोरों से धड़कने लगा और मैंने दबी जुबान से कहा कि हां जीजी मैं फिर से आपको नंगी देखना चाहता हूँ.
वो बोली कि क्या कभी तूने पहले भी ये काम किया है?
मैंने कहा कि नहीं.
तो उसने कहा कि आ मेरे पास आ, आज मैं तुझको सब कुछ सिखाऊंगी.

ये कह कर उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे होंठ चूमने लगी. मैंने भी उसको कस कर पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा. उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसने की कोशिश कर रही थी, तो मैंने अपना मुँह खोल कर उसकी जीभ चूसनी शुरू कर दी.

इधर मेरा लंड भी चोट खाए काले नाग की तरह फ़नफ़ना रहा था और पेंट में से बाहर आने के लिए मचल रहा था. मैंने एक हाथ बढ़ा कर दीपाली की तनी हुई चूचि पर रख दिया और बड़ी बेताबी के साथ उसको मसलने लगा.

दीपाली का सारा बदन एक गरम भट्टी की तरह तप रहा था और हमारी गरम सांसें एक दूसरे की साँसों से टकरा रही थीं.Aunty Ki Chut Kutte Jaise Chat Chat Kar Gili Kar Di

ऐसा लग रहा था कि मैं बादलों में उड़ा जा रहा हूँ. अब मेरे से सब्र नहीं हो रहा था. मैंने उसकी चूची मसलते हुए अपना दूसरा हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिया और उनको बहुत बुरी तरह से मसलने लगा.

दीपाली के मुँह से हल्की सी कराहने की आवाज निकली- ओह्हह्ह.. अईईई.. जरा आरम से मसलो, मैं कोई भागी नहीं जा रही हूँ. तेजी से मसलने पर दर्द होता है.

लेकिन मैं अपनी धुन में ही उसके चूतड़ों को मसलता रहा और वो ‘ओह्हह.. अययईए..’ करती रही.

उसकी इन कामुक आवाजों को सुन कर मेरा लंड बेताब हो रहा था और पेंट के अन्दर से ही उसकी नाभि के आस पास टक्कर मार रहा था.

मैंने उसके कान में फ़ुसफुसाते हुए कहा कि अपनी सलवार कमीज़ उतार दो.

पहले तो वो मना करने लगी, लेकिन जब मैंने उसकी कमीज़ ऊपर को उठानी शुरू की.. तो उसने कहा- रुको बाबा, तुम तो मेरे बटन ही तोड़ दोगे, मैं ही उतार देती हूँ.

ये कह कर उसने अपनी कमीज़ के बटन खोल कर अपनी कमीज़ उतार दी. अब वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा और सलवार में खड़ी थी.